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तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी

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आसमानों से जो आता है मुझे, वो दुआ तुम हो ये पता है मुझे, इश्क हो तुम ये जानता हूँ मैं, तुम मेरी हो ये जनता हूँ मैं। मेरा ईमान-ओ-दिन है तुमपर, मुझे पूरा यकीन है तुमपर, फिर भी कमबख्त ये दिल धड़कता है, रोज ये सोचके तड़पत, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी। यूँ तो दिन से भी मेरी अनबन है-2 , रात लेकिन पुरानी दुश्मन है। शाम बे कली भी रहती है, दिन में एक खलबली भी रहती है। बेखबर कितना भी हो जाऊं, नींद कितनी भी गहरी सो जाऊं, दर्द सीने में जमा रहता है, एक घटका स लगा रहता है, तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी। तुम मोहब्बत का एक जजीरा हो-2, जैसे मंदिर में कोई मीरा हो, जैसे दरगाह पर हो कुन फाया तुमने वैसे ही मुझको है गाया। प्यार करती हो जितना है बस में, दौड़ता हूँ तुम्हारी नस-नस में , जानता हूँ जो अपना नाता है, फिर भी जो ये डर सताये जाता है,  तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी। तुमपे शक है अरे नहीं जाना, ऐसा हो सकता है कहीं जाना-2 सबसे आला किया , निराला किया, इश्क तुमने किताबों वाला किया, पर किताबें ही ये बताती हैं, कस्तियाँ दिल के टूट जाती है, इससे पहले भी ख्वाब टूटे हैं, इससे पहले भी साथ छूटे हैं, तुम
 चल सको तो चलो  सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो, किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं  तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो, यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता,  मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो अगर उम्र भर की चाह है, कदम मिलाकर चल सको तो चलो, प्यार को नहीं समझती है ये दुनियाँ, काँटों पर चल सको तो चलो, दिल की आवाज हो तुम, सुन सको तो चलो,  बड़ी उलझन है जिंदगी में, सुलझ सको तो चलो,  मंजिल है साथ पाने की, दिल मिला सको तो चलो, ये जिंदगी भी तो अब तुम्हारी ही है, जिंदगी बना सको तो चलो उम्र गुजारना है तेरी बाहों में, सीने से लगा सकती तो चलो |                                                                                          

तुम अगर साथ देने का वादा करो

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तुम_अगर_साथ_देने_का_वादा_करो                    मैं_यूँ_ही_मस्त_नग़मे_लुटाता_रहूं तुम अगर साज सरगम की छेड़ो यहाँ। मैं तुम्हारे लिए गीत गाता रहूँ।। तुम अगर फूल चुन चुनकर लाओ यहाँ। मैं ये गजरा तुम्हारा सजाता रहूँ।। तेरी जुल्फें फिज़ाओं की काली घटा। चाँद मुखड़े को तेरे छुपायें सदा।। तेरी आँखों में रहता नशा ए सुरूर। बिन पिये ही नशा जैसे हो मयकदा।। तुम अगर अपनी नजरों से देखो मुझे। मैं ये जाम ए नशा भूल जाता रहूँ ।। तुम अगर साज... ये गुलाबों के फूलों के जैसी हँसी। दे दिलों को सुकूँ ऐ मेरे हमनशीं।। तेरा चेहरा हँसी देख चँदा जले। क्योंकि चँदा से भी है तू महजबीं।। तुम अगर मेरे ख्वाबों की मलिका बनों। मैं सितारों की महफिल सजाता रहूँ।। तुम अगर साज.... तेरे आने से आती है खुशबू यहाँ। क्योंकि तू है गुलाबों की खुद पंखुड़ी।। तेरी आवाज सरगम सी प्यारी लगे। क्योंकि तुझमें है कोयल की जादूगरी।। तुम अगर अपनी पायल की सुर ताल दो। मैं फिज़ाओं में सरगम मिलाता रहूँ।। तुम अगर साज.... ये घटायें जो सावन की घिर आई हैं। तेरी जुल्फों की हैं ये सारी अदा।। ये पहाड़ों से चलती शीतल हवा। तेरे आने की आहट देती सदा।। तुम अग

प्रेम और जिंदगी

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                                      प्रेम और जिंदगी जिस औरत ने भी इसे लिखा है ,उसने जिन्दगी का वास्तविक  अनुभव है और नयी पीढी के लिए उत्तम सन्देश है । मुझे अच्छा लगता है मर्द से मुकाबला ना करना और उस से एक दर्जा कमज़ोर रहना । मुझे अच्छा लगता है जब कहीं बाहर जाते हुए वह मुझ से कहता है, "रुको! मैं तुम्हे ले जाता हूँ या मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ ।" मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझ से एक कदम आगे चलता है - गैर महफूज़ और खतरनाक रास्ते पर उसके पीछे पीछे उसके छोड़े हुए क़दमों के निशान पर चलते हुए एहसास होता है कि उसे मेरा ख्याल खुद से ज्यादा है। मुझे अच्छा लगता है जब गहराई से ऊपर चढ़ते और ऊंचाई से ढलान की तरफ जाते हुए वह मुड़ मुड़ कर मुझे चढ़ने और उतरने में मदद देने के लिए बार बार अपना हाथ बढ़ाता है । मुझे अच्छा लगता है जब किसी सफर पर जाते और वापस आते हुए सामान का सारा बोझ वह अपने दोनों कंधों और सर पर बिना हिचक किये खुद ही बढ़ कर उठा लेता है ।और अक्सर वज़नी चीजों को दूसरी जगह रखते वक़्त उसका यह कहना, "तुम छोड़ दो यह मेरा काम है ।" मुझे अच्छा लगता है जब वह मेरी वजह से सर्द म

घमंडी कौवा

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घमंडी का सर हमेशा नीचा होता है। घमंडी कौवा हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था , उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था . उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा “तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !” कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो ।  क्या तुम मेरी तरह फुर्ती से उड़ सकते हो ? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ? नहीं , तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं ।” कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला ,” ये अच्छी बात है कि  तुम ये सब कर लेते हो , लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए ।” ” मैं घमंड – वमंड नहीं जानता , अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए ।” एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली ।यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी , पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे । प्रतियोगिता शुरू हुई । पहले चरण की शुरुआत  कौवे ने की और एक से बढ़कर एक क

लोटे की चमक

प्रत्येक व्यक्ति को नित्य अपनी बुराइयों को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए। प्रत्येक कार्य चाहे वह छोटा ही क्यों न हो पूर्ण मनोयोग से करना चाहिए। लोटे की चमक एक समय की घटना है। ‘श्री रामकृष्ण परमहंस रोज बहुत लगन से अपना लोटा राख या मिट्टी से मांजकर खूब चमकाते थे। श्री परमहंस का लोटा खूब चमकता था। उनके एक शिष्य को श्री रामकृष्ण द्वारा प्रतिदिन बहुत मेहनत से लोटा चमकाना बड़ा विचित्र लगता था। आख़िर उससे रहा नहीं गया। एक दिन वह श्री रामकृष्ण जी से पूछ ही बैठा, “महाराज! आपका लोटा तो वैसे ही खूब चमकता है। इतना चमकता है कि इसमें हम अपनी तस्वीर भी देख ले। फिर भी रोज-रोज आप इसे मिट्टी, राख और जून से मांजने में इतनी मेहनत क्यों करते है?” गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस मुस्कुरा उठे हँसकर बोल, “इस लोटे की यह चमक एक दिन की  मेहनत से नहीं आई है; इसमें आई मैल को हटाने के लिए नित्य-प्रति मेहनत करनी ही पड़ती है। ठीक वैसे ही जैसे जीवन में आई बुराइयों, बुरे संस्कारों को दूर करने के लिए हमें रोजाना ही संकल्प करना पड़ता है। संकल्प को अच्छे चरित्र में बदलने के लिए हमें रोजाना के अभ्यास से ही दुर्गुणों का मैल

सफलता की कुँजी

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सफल बनना है तो आलस्य को त्यागें। आलस्य से जीवन के रचनात्मक पल नष्ट हो जाते हैं। आलसी मत बनें आलसी की तुलना उस तालाब से की जा सकती है, जिसके पानी में,सीमा में बंध जाने की वजह से , सरांध व काई जम जाती है। जबकि अनवरत चलने वाली नदी का पानी सदैव निर्मल रहता है।  यदि आप दिनभर घर में पड़े रहते हैं तो आपके हाथ पैर जकड जाएँगे। आपको चलने फिरने में दिक्कत होगी। मनुष्य तो मनुष्य मशीन से यदि काम न लिया जाए तो उसके कलपुर्जे काम करना बंद कर देते हैं। बहुत पुरानी बात है। किसी देश में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह काफी मेहनती था। खेतों में काम करके अपना गुजारा करता था। उसके तीन लड़के थे जो बड़े ही आलसी थे। उसकी आलस्य की वजह से बूढा और उसकी पत्नी काफी परेशान रहते थे। दोनों अपने लड़कों को समझाने की कोशिश करते लेकिन तीनों अपने आलसीपन से बाज नहीं आए।  एक दिन बूढा किसान चल बसा। बुढ़िया ने अपने बेटों को खेत पर जाने के लिए कहा, लेकिन वे गए नहीं। जब तक अनाज था बुढ़िया ने उनको बना –बना कर खिलाया ,आखिर में एक दिन घर का सारा अनाज ख़त्म हो गया। जब घर में एक भी दाना नहीं बचा तो बुढिया ने अपनों बेटों से काम धंधे के लिए कह